सीएम ने समारोह में 298 करोड़ की परियोजनाओं का किया लोकार्पण-शिलान्यास, संस्थान को मिली गामा नाइफ मशीन
प्रदेश के पहले एडवांस्ड न्यूरो साइंसेज सेंटर का किया उद्घाटन, लोगों को ब्रेन ट्यूमर और अन्य मस्तिष्क की बीमारियों का मिलेगा बेहतर इलाज
लखनऊ। हमारे जीवन की तीन स्थितियां होती हैं, जिसमें पहली प्रवृत्ति, दूसरी विकृति और तीसरी संस्कृति होती है। इसमें स्थिति का यथारूप रहना प्रवृत्ति है। इंसान परिवर्तन तो चाहता है, लेकिन परिवर्तन करने के लिए अपने आपको तैयार करने में हिचकता है। वहीं अगर कोई संस्थान या इंसान लगातार गिरावट की ओर जाता है तो यह विकृति होती है। इसी कड़ी में अगर एक व्यक्ति निर्णय लेता है। उसका निर्णय व्यापक जनहित और राष्ट्रहित में है, तो उसका निर्णय संस्कृति है।
इसी संस्कृति का एक बेहतरीन उदाहरण डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान है। संस्थान ने महज 19 वर्षों में 20 बेड से बढ़कर 1,375 बेड का विस्तार किया है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के स्थापना दिवस समारोह में कही। इस दौरान सीएम योगी ने 298 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास किया।

हमें काम की गति से दो कदम आगे चलने के लिए तैयार रहना चाहिये
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश और व्यक्ति की गति काल की गति है। हमें काल की गति से दो कदम आगे चलने के लिए तैयार रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति, समाज या देश काल की गति को पहचान नहीं पाता है, वह काल की चपेट में स्वयं आ जाता है क्योंकि काल की गति तो वही है, जिसके बारे में डॉ. श्याम नारायण पांडेय ने कहा था कि ये महाकाल का आसन है, इस पर किसी का शासन नहीं होता है। यदि कोई यह मन में बैठा ले कि मैं समय की गति को अवरुद्ध कर दूंगा, तो यह उसकी गलतफहमी होगी। ऐसे में हमें काल की गति से दो कदम आगे चलना होगा।
काल की गति के मामले में संस्थान ने अच्छी प्रगति हासिल की है। यही वजह है कि संस्थान ने पांच वर्षों में प्रदेश के टॉप तीन चिकित्सा संस्थान में अपना नाम दर्ज कराया है। इसमें पहला केजीएमयू 110 वर्ष की अपनी आयु पूरी कर चुका है, दूसरा एसजीपीजीआई जो लगभग चार दशक पुराना है। वहीं लोहिया संस्थान ने काफी कम समय में एक लंबी छलांग लगाकर, प्रदेश के तीसरे टॉप चिकित्सा संस्थान में अपना नाम दर्ज कराया है।
अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस बीमारी से बच्चों की मौत नहीं होती हैं, वहां उत्साह और उमंग का है वातावरण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान टेक्नालॉजी का प्रयोग कर जिस तरह भीड़ को नियंत्रित किया गया, आज भी उसे अपनाकर अस्पतालों और संस्थानों में भीड़ को कम किया जा सकता है। टेली कंसल्टेशन की सुविधा दूर-दराज के क्षेत्रों में पीएचसी, सीएचसी और डिजिटल अस्पतालों में उपलब्ध कराकर मरीजों की स्क्रीनिंग को सही तरीके से पूरा किया जा सकता है। जब स्वास्थ्य की बात की जाती है, तो सुश्रुत और चरक जैसे भारतीय चिकित्सकों का उल्लेख नितांत आवश्यक है।

भारत ने दुनिया को सर्वोत्तम चिकित्सक दिए हैं, जिनका योगदान बेमिसाल है। इन संस्थानों ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की दिशा तैयार की है। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों में 50,000 से अधिक बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस बीमारी से हुई थी, लेकिन टीमवर्क और जागरूकता के बाद बीमारी पर पूरी तरह से काबू पाया लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व में हुए इस परिवर्तन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सभी विभाग और संस्थान मिलकर काम करते हैं, तो सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं। इन सुधारों का परिणाम यह हुआ कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में जहां पहले भय का माहौल था, अब उत्साह और उमंग का वातावरण है।
सीएम ने कहा कि संस्थान में 50 करोड़ की गामा नाइफ मशीन और प्रदेश के पहले एडवांस्ड न्यूरो साइंसेज सेंटर का उद्घाटन किया गया, जिससे उत्तर प्रदेश के लोगों को अब ब्रेन ट्यूमर और अन्य मस्तिष्क संबंधित बीमारियों के इलाज में सहायता मिलेगी। उत्तर प्रदेश में मेडिकल डिवाइस और फार्मा पार्क के विकास की दिशा में भी सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। सीएम ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में मेडिकल डिवाइस पार्क और ललितपुर में फार्मा पार्क का कार्य जारी है। हम प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं, जो आगे भी युद्धस्तर पर जारी रहेगा।
इस अवसर पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य मंत्री मयंकेश्वरण शरण सिंह, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, संस्थान के निदेशक प्रो. सीएम सिंह, डीन प्रो. प्रद्युम्न सिंह, सीएमएस विक्रम सिंह आदि उपस्थित थे।